Saturday, September 18, 2010

दूर कहीं से !


रिमझिम बारिश में फोहारों के बाद जब पानी से पसीजी हुई हवा तन को छु जाती  है,
तब दूर कहीं से कोई मीठा गाना याद दिलाजता है,
उन् लोगों की जो आपके  साथ है भी और नहीं भी,
कभी वोह आते है जहन में, कभी खो जाते है इन् लोगों की भीड़ में,
इस भीड़ मैं कभी कभी खुद को ढूँढना भी मुश्किल  लगता है,
उन्हें कैसे संभालें जो संभालना भुला देते है,
भीगे हुए मौसम में जब रात का अँधेरा पंख फराहता  है,
तब vaccuum से आती ट्रक के engine की आवाज़,
एक सुकून सा दे जाती
की जो दूर है वोह कल तक फिर पास होगा,
और फिर  वही मीठे धुन, वोह मीठा गीत गुनगुनाते
कब मद्धम सुबह आंकें खोल लेती है,
पता ही नहीं चलता
वैसे ही जैसे उनका स्पर्श, पता नहीं होने देता की
दूर से पास आ गए है!


रिमझिम बारिश की फुहारें!

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